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प्रेरणादायक कहानियां

शिकारपुर नामक एक गांव में खूबचंद नाम का एक व्यक्ति रहा करता था | उसने गंगा के किनारे एक पवन चक्की लगाई हुई थी | उस पवन चक्की पर लोगों का आटा पीस कर, वह अपना पालन पोषण करता था | सुबह रोटी बनाता दोपहर को घर आकर खाता, उसी में से बची रोटी वह रात का खाकर सो जाता |

एक दिन जब वह काम पर से दोपहर को घर लौटा तो उसने अपनी रोटी गायब पाई | बेचारे ने फिर से चूल्हा जलाया रोटी पकाई खाई तथा दो रोटी शाम के लिए टोकरी में रख दी | शाम को आया तो फिर रोटी को नदारत पाया | उसे बड़ी हैरानी हुई तथा गुस्सा भी आया | उसने चोरों को पकड़ने के लिए एक फंदा लगा दिया | सुबह जब सोकर उठा तो उसने फंदे में एक लोमड़ी को फंसे हुए पाया |


लोमड़ी ने उस से विनती करते हुए कहा – ” भैया! मैं भूखी थी तो रोटी उठाकर ले गई, मुझेक्षमा कर दो | मैं तुम्हारी मेहरबानी का कर्ज चुका दूंगी |”

खूबचंद को लोमड़ी पर दया आ गई | उसने उसको छोड़ दिया | वहां से लोमड़ी सीधी राजा की टकसाल में पहुंची वहां सोने की मोहरे दलति थी | उसने एक मोहर उठा ली और मुंह में दबाकर राज दरबार में पहुंच गयी | राजा के आगे हाथ जोड़कर वह बड़े ही अदब से बोली – ” महाराज की जय हो! मेरे मालिक खूबचंद को अपनी मोहरों का ढेर गिनना है | मोहरे नापने को अपनी तराजू दे दीजिए |”

राजा उसकी बात सुनकर बड़ा ही हैरान हुआ | बोला – ” यह खूबचंद कौन है |”

लोमड़ी बोली – ” महाराज! अवसर आने पर मैं आप को बता दूंगी तथा आपसे मिला दूंगी |”

राजा ने उससे तराजू दिलवा दी | वह तराजू ले कर चली गई अगले दिन जब वह तराजू वापस करने आई तो उसने वही मोहर जो वह टकसाल से चुरा कर लाई थी टोकरी पर चिपका दी |

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